उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में स्थित बांके बिहारी मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है। यहाँ उनकी बाल-रूप प्रतिमा स्थापित है, जो स्वामी हरि दास के भक्ति और साधना से प्रकट हुई थी। इस मंदिर का निर्माण 1864 में हुआ था।

मंदिर का इतिहास | Mandir History

श्री बांके बिहारी मंदिर की स्थापना स्वामी हरीदास जी ने द्वापर युग में कराई थी। मान्यता है कि “स्वामी हरीदास जी” राधा की सखी “ललिता” के अवतार रूप में अगला जन्म लिया था। उनका जन्म 1478 में हरिदाशपुर, अलीगढ़ के पास राधा अष्टमी के दिन हुआ था। उनके पिता का नाम आशुधीर और माता का नाम गंगादेवी था। स्वामी हरी दास जी बचपन से ही श्री कृष्ण के बहुत बड़े भक्त थे। हर रोज वे भगवान कृष्ण के भजन गाया करते थे।

स्वामी हरिदास 25 वर्ष की आयु में अपने घर को छोड़कर वृंदावन में रहना शुरू किया और उनके साथ उनका  भतीजा भी था। उनके भजन सुनने के लिए लोग दूर-दूर से आते थे, और यह तक कि जंगल के जानवर भी उनके भजन में सामील हो जाते थे।

स्वामी हरी दास जी उत्तम गायक “तानसेन” के गुरु भी रहे हैं। एक दिन उनके भतीजे और भाई भी साथ भजन कर रहे थे। भजन के दौरान एक रौशनी प्रकट हुई और उसमें से भगवान कृष्ण और राधा दिखाई दिए। 

इसके बाद श्री कृष्ण और राधा बालरूपी मूर्ति में बदल गए, और उसके बाद स्वामी हरी दास ने निधिवन में श्री बांके बिहारी जी की सेवा करना शुरू कर दिया। उसके निधन के बाद उनके वंशजों ने निधिवन के पास एक मंदिर का निर्माण किया, जिसे अब श्री बांके बिहारी मंदिर के नाम से जाना जाता है।

मंदिर का समय | Mandir Timimg

  • बांके बिहारी मंदिर सुबह 8:30 खुलता हैं और सुबह 8:55 पर श्रीनगर आरती होती हैं , 
  • दोपहर 12:00 बजे ठाकुर जी का राज भोग होता हैं। 
  • जिसका समय 30 मिनट होता है और उस समय कपट बंद रहते हैं, 
  • दोपहर 2:30 बजे राज भोग आरती होती हैं। 
  • दोपहर 3 बजे से 4:30 बजे तक ठाकुर जी विश्राम करते हैं। मंदिर बंद रहता हैं। 
  • रात 8:25 पर शयन आरती होती है और रात 9 बजे मंदिर बंद हो जाता। 

मंदिर तक कैसे जाए  | How To Reach Bake bihari Mandir 

बांके बिहारी मंदिर मथुरा मे स्थित हैं, मथुरा तक बस, ट्रेन, और टैक्सी के द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है। यह मंदिर भारत के मुख्य शहर दिल्ली से सिर्फ 183 किलोमीटर दूर है। 


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